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Madhya Pradesh
प्रतिवेदन संख्या 6 वर्ष 2022 मध्य प्रदेश शासन - भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए
अवलोकन
इस प्रतिवेदन में राज्य सरकार के पांच विभागों से संबंधित छ: अनुपालन लेखापरीक्षाएं हैं, जिनमें कुल 1,551.64 करोड़ रुपए की लेखापरीक्षा आपत्तियाँ है।
पंजीकरण एवं मुद्रांक विभाग की अनुपालन लेखापरीक्षा में बाजार मूल्य दिशानिर्देशों (एमवीजी) के अनुमोदन, उप-जिला मूल्यांकन समिति द्वारा डेटा संग्रह और संपत्ति डेटा मूल्यों के विश्लेषण में विसंगतियां, समितियों और उप समितियों के कामकाज में कमियां, और एमवीजी के निष्पादन से संबन्धित अनियमितताएं सामने आईं। इनके परिणामस्वरूप 4.49 करोड़ रुपये के राजस्व की कम वसूली हुई। इसके अलावा, वाणिज्यिक कर विभाग की अनुपालन लेखापरीक्षा ने टर्नओवर के गलत निर्धारण, अस्वीकार्य/अधिक आगत कर छूट, प्रवेश कर नहीं लगाया जाना/ कम आरोपण होना, वैट का कम आरोपण और कटौती/टीडीएस और घोषणाएं के विरुद्ध कर के गलत समायोजन के कारण कर के कम निर्धारण के मामलों का खुलासा हुआ। इन निष्कर्षों का वित्तीय निहितार्थ 18.05 करोड़ रुपये था। खनिज साधन विभाग की अनुपालन लेखापरीक्षा में उचित निर्देशांक के बिना अनुमोदित खनन योजनाएँ, खदान बंद करने की योजना का कार्यान्वयन न करना, पट्टेदार और पंजीकृत वाहक मालिकों द्वारा विवरणी प्रस्तुत न करना, पर्यावरण अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत न करना, खनन निरीक्षक और जिला कार्य बल समितियों की कार्यप्रणाली में कमियों के मामले सामने आए। आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने से पहले खनिजों के अवैध उत्खनन, खनन योजनाओं, ईसी और सीटीओ में निर्धारित सीमा से अधिक खनिजों का अधिक उत्पादन के मामले संयुक्त भौतिक निरीक्षण में देखे गए थे। भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के आधार पर संदिग्ध अवैध रेत खनन के मामले भी देखे गए। इन लेखापरीक्षा निष्कर्षों का वित्तीय निहितार्थ 394.22 करोड़ रुपये के राजस्व की कम वसूली का था। इसके अतिरिक्त, लोक निर्माण विभाग की अनुपालन लेखापरीक्षा में प्राक्कलन तैयार करने में कमियां, ठेका प्रबंधन में कमियां, सड़क कार्यों का अनिवार्य परीक्षण न करना, विभागीय प्रयोगशाला से सड़क कार्यों का परीक्षण, संभाग और शीर्ष स्तर पर सड़क कार्यों की निगरानी, योजना और आकलन, गुणवत्ता आश्वासन और निगरानी तंत्र में कामियों का पता चला। इन वित्तीय निहितार्थों की राशि 887.17 करोड़ रुपये की थी। अन्त में, मध्य प्रदेश गृहनिर्माण एवं अधोसंरचना बोर्ड की अनुपालन लेखापरीक्षा ने अनुचित आँकलन, विवादित भूमि के अधिग्रहण, मांग का आकलन किये बिना आवास परियोजनाओं के निर्माण आदि से संबंधित अनियमितताओं को उजागर किया। अनुबंध के दायरे से परे भुगतान, गैर-अनुमोदित कार्यों के निष्पादन के लिए भुगतान, रॉयल्टी शुल्क की गैर/कम वसूली, ठेकेदार को अनुचित वित्तीय सहायता, शास्ति का कम आरोपण, गैर-निर्दिष्ट सामग्री का उपयोग, अनुचित गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र संबंधी मामले देखे गए जिनका कुल वित्तीय निहितार्थ 247.71 करोड़ रुपए का था।